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पंचतंत्र की कहानी: बड़े नाम का चमत्कार – bade naam ka chamatkar
पंचतंत्र की कहानी: मूर्ख बातूनी कछुआ – murkh batuni kachua
वह बार-बार सोचता कि नीचे कूद जाऊ और अपने दोस्तों से जा मिलु परन्तु उसे पेंड का मोह अपनी ओर खींचने लगता, आम रोजाना इसी सोंच में डूबा रहता।
हर कार्य को करने से पहले अच्छी तरह सोचना चाहिए।
पेंड पर बैठा उल्लू हंस हंसिनी की इन बातों को सुन रहा था।
kaise pada hanuman ka naam hanuman
Following I used to be snug with almost everything I'd uncovered, I labored toward opening my restaurant, which I named immediately after my mom. It hasn't been with out its possess set of challenges, but I don’t regret my final decision. I like staying During this scene and Conference new people. I suppose it jogs my memory of my mom.”
वह व्यक्ति जोर से हंसा -” जो व्यक्ति समय का भी ध्यान ना रखे, उससे भला क्या ही अपेक्षा की जा सकती है। महर्षि उस व्यक्ति के व्यंग के पीछे छुपे विचार को समझ गए, महर्षि बोले- फिर भी हमें कुछ देर इंतज़ार करना चाहिए।
गाँधी जी के ज़माने में छूआछूत का बोलबाला था. उनका उस ज़माने में success stories of famous personalities अपनी ऐसी सोच रखना उनकी महानता को दर्शाता है.
एक समय की बात है, गुरूजी अपने शिष्यों को ज्ञान की बातें बता रहे थे, और उनकी समस्याओं और प्रश्नो का जवाब (हल) भी दे रहें थे। जब लगा की शिष्यों की शिक्षा पूरी हो गयी तब गुरूजी ने सभी शिष्यों से कहां – शिष्यों अगर आप के मन में अभी भी कोई शंका या प्रश्न हो तो मुझसे पूछ सकते हो।
गुरूजी ने जवाब दिया की दुःख तो मुझे भी बहुत हुआ है शिष्य तुम्हारे इस सवाल से काश इन सवालों के जगह पर तुम ये पूछते – गुरूजी, चाँद में इतनी चांदनी क्यों है ? और दीपक में इतनी रोशनी क्यों है ?
सबसे ईमानदार कौन? – तेनालीराम की कहानी
दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
आपको हर सुबह भीगे हुए बादाम क्यों खाने चाहिए?